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तोरई की खेती से पाएं 150 क्विंटल तक की उपज: जानिए उन्नत तकनीक और टिप्स

कद्दूवर्गीय सब्जियों में तोरई की खेती: 
अधिक उपज के लिए उपयोगी जानकारी

तोरई (Ridge Gourd) भारत में कद्दूवर्गीय सब्जियों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसे देश के विभिन्न हिस्सों में उगाया जाता है और इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकती है। यदि सही तकनीकों और प्रबंधन का पालन किया जाए, तो इसकी पैदावार को कई गुना बढ़ाया जा सकता है। इस लेख में हम तोरई की खेती से संबंधित उपयोगी जानकारी साझा करेंगे, जो किसानों को अधिक उपज प्राप्त करने में मदद करेगी।

तोरई की उन्नत किस्में

अधिक पैदावार के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है। कुछ प्रमुख किस्में हैं:

1. दामिनी-2
2. प्रिया 
3. NS 441

ये किस्में अधिक उपज और रोग प्रतिरोधी होती हैं।

जलवायु और मिट्टी

तोरई की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु उपयुक्त मानी जाती है।

मिट्टी: दोमट मिट्टी जिसका pH मान 6.0-7.5 के बीच हो, तोरई की खेती के लिए आदर्श होती है।

तापमान: 25-30°C तापमान पर यह फसल तेजी से बढ़ती है।


बुवाई का समय और विधि

बुवाई का समय:

खरीफ मौसम: जून-जुलाई

जायद मौसम: फरवरी-मार्च


बुवाई कि विधी : 

 तोरई की बुवाई क्यारी या बेल विधि से की जाती है।

बीज की मात्रा: प्रति हेक्टेयर 3-5 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।


सिंचाई प्रबंधन

तोरई के पौधों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है।

1. खरीफ मौसम: मानसून में सिंचाई कम करें।

2. जायद मौसम: हर 4-5 दिन पर सिंचाई करें।


खाद और उर्वरक प्रबंधन

जैविक खाद: प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर की खाद।

रासायनिक खाद:

नाइट्रोजन: 50-60 किलोग्राम

फॉस्फोरस: 40-50 किलोग्राम

पोटाश: 30-40 किलोग्राम
(उर्वरकों को दो किस्तों में लगाएं: बुवाई के समय और फूल बनने के समय।)

रोग और कीट नियंत्रण

1. पाउडरी मिल्ड्यू: सल्फर डस्ट का छिड़काव करें।

2. लाल मक्खी: नीम के तेल का स्प्रे प्रभावी है।

3. फल छेदक कीट: क्विनालफॉस 25 ईसी का छिड़काव करें।


तुड़ाई और उपज

तोरई के फल जल्दी पक जाते हैं, इसलिए तुड़ाई समय पर करें।

बुवाई के 50-60 दिनों बाद तोरई की पहली तुड़ाई की जा सकती है।

प्रति हेक्टेयर 100-150 क्विंटल उपज प्राप्त हो सकती है।


सुझाव और सावधानियां

बीज का उपचार बुवाई से पहले करें।

फसल चक्र अपनाएं और दूसरी फसलें जैसे मूंग या उड़द के साथ तोरई उगाएं।

जैविक खेती को प्राथमिकता दें ताकि उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर हो।


निष्कर्ष

तोरई की खेती एक लाभदायक व्यवसाय बन सकता है, यदि सही तकनीकों और योजनाओं के साथ इसे अपनाया जाए। किसानों को उन्नत किस्में, उचित खाद प्रबंधन, और सिंचाई के सही तरीके अपनाने चाहिए। तोरई की फसल न केवल उनकी आय बढ़ाएगी बल्कि बाजार में ताजा और पोषक सब्जियों की मांग को भी पूरा करेगी।

ज्यादा जानकारी और सुझाव के लिए, अपने कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें।


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