कृषि में जल प्रबंधन: कैसे करें पानी की बचत?
जल कृषि का आधार है, लेकिन पानी की बढ़ती कमी के कारण इसका प्रबंधन आवश्यक हो गया है। सही जल प्रबंधन से न केवल फसलों की उपज बढ़ती है, बल्कि जल संरक्षण भी संभव होता है। आइए जानते हैं कि कैसे किसान पानी की बचत कर सकते हैं।
1. सूक्ष्म सिंचाई अपनाएं.
ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली पारंपरिक बाढ़ सिंचाई की तुलना में 30-50% तक पानी की बचत कर सकती है। इससे पौधों को जरूरत के अनुसार पानी मिलता है और बर्बादी कम होती है।
2. वर्षा जल संचयन करें.
बारिश के पानी को खेतों में तालाबों और जलाशयों में एकत्र कर बाद में सिंचाई के लिए उपयोग किया जा सकता है। इससे भूजल स्तर भी संतुलित रहता है।
3. मल्चिंग तकनीक अपनाएं.
मिट्टी की सतह पर घास, पुआल या प्लास्टिक की परत बिछाने से पानी की वाष्पीकरण दर कम होती है और नमी बनी रहती है।
4. समुचित फसल चक्र अपनाएं.
कम पानी में उगने वाली फसलें, जैसे बाजरा, चना और मूंग, सूखे की स्थिति में भी अच्छी उपज देती हैं।
5. मिट्टी की नमी बनाए रखें.
खेत की गहरी जुताई और जैविक खादों का उपयोग करने से मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ती है, जिससे बार-बार सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती।
निष्कर्ष
कृषि में जल प्रबंधन आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक ज्ञान के संतुलन से संभव है। अगर किसान सही तरीके अपनाएं तो पानी की बचत के साथ-साथ बेहतर पैदावार भी प्राप्त कर सकते हैं।
क्या आप भी जल संरक्षण के लिए कोई तरीका अपनाते हैं? कमेंट में बताएं!
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