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महाराष्ट्र में 2024-25 गन्ना पेराई सत्र में कमी: प्रमुख कारण, आंकड़े और विश्लेषण 🌱🐛🐞

महाराष्ट्र में 2024-25 गन्ना पेराई सत्र में कमी के प्रमुख कारण और विश्लेषण

महाराष्ट्र, जो भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में से एक है, वहां 2024-25 गन्ना पेराई सत्र में गन्ना पेराई में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। पिछले सत्र की तुलना में इस बार पेराई सत्र जल्दी समाप्त हो गया है और चीनी उत्पादन में भी भारी गिरावट देखी गई है। आइए जानते हैं इसके पीछे के मुख्य कारण और उनका विश्लेषण।

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1. गन्ने की कम पैदावार (Low Cane Production):

प्रमुख कारण:

सूखा और अत्यधिक वर्षा:

अप्रैल से जून 2024 के दौरान महाराष्ट्र में गंभीर सूखा पड़ा, जिससे गन्ने की प्रारंभिक वृद्धि में बाधा आई।

इसके बाद नवंबर 2024 तक अत्यधिक और अनियमित वर्षा के कारण गन्ने की गुणवत्ता में गिरावट आई।


फसल की खराब गुणवत्ता:

अत्यधिक बारिश के कारण कई जगहों पर गन्ना सड़ने लगा और प्रति हेक्टेयर उपज में कमी आई।



परिणाम:

गन्ने की उपलब्धता में भारी कमी।

चीनी मिलों के पास पर्याप्त कच्चा माल न होने के कारण पेराई सत्र समय से पहले बंद करना पड़ा।


आंकड़े:

महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल संघ (WISMA) के अनुसार, 2023-24 के मुकाबले 2024-25 में चीनी उत्पादन घटकर 100-102 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले सत्र में यह 105 लाख टन था।



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2. पेराई सत्र की देरी से शुरुआत (Delayed Crushing Season):

कारण:

गन्ना उत्पादन में कमी के कारण कई चीनी मिलों ने सत्र की शुरुआत में देरी की।

खराब गुणवत्ता वाला गन्ना प्राप्त होने के कारण मिलों ने पेराई शुरू करने में रुचि नहीं दिखाई।


प्रभाव:

गन्ने की गुणवत्ता में और गिरावट आई, जिससे चीनी रिकवरी प्रतिशत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

चीनी मिलों का समय से पहले बंद होना।


आंकड़े:

3 मार्च 2025 तक, महाराष्ट्र में 92 चीनी मिलों ने अपना संचालन बंद कर दिया था, जिसमें से सबसे अधिक 36 मिलें सोलापुर में बंद हुईं।



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3. इथेनॉल उत्पादन की ओर रुझान (Shift Towards Ethanol Production):

कारण:

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा इथेनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां।

किसानों और मिल मालिकों द्वारा गन्ने का उपयोग चीनी उत्पादन की बजाय इथेनॉल उत्पादन में किया जा रहा है।


परिणाम:

चीनी मिलों को गन्ने की कम आपूर्ति।

चीनी उत्पादन की तुलना में इथेनॉल उत्पादन में अधिक लाभ होने के कारण गन्ना पेराई में कमी।


आंकड़े:

पिछले वर्षों की तुलना में इथेनॉल उत्पादन में काफी बढ़ोतरी देखी गई है।



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4. चीनी रिकवरी दर में गिरावट (Decline in Sugar Recovery Rate):

कारण:

खराब गुणवत्ता वाला गन्ना और प्रतिकूल मौसम।

सही समय पर पेराई ना होने के कारण चीनी रिकवरी में गिरावट।


प्रभाव:

चीनी मिलों को प्रति टन गन्ने से कम चीनी प्राप्त हो रही है।

चीनी उत्पादन लागत में वृद्धि।


आंकड़े:

2023-24 सत्र में चीनी रिकवरी दर 10.04% थी, जबकि 2024-25 में यह घटकर 9.37% रह गई।



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5. चीनी मिलों का समय से पहले बंद होना (Premature Shutdown of Sugar Mills):

कारण:

गन्ने की कम उपलब्धता और खराब गुणवत्ता।

चीनी उत्पादन में गिरावट और मिलों की आर्थिक स्थिति पर दबाव।


प्रभाव:

राज्य में कई चीनी मिलें समय से पहले बंद हो गईं।

किसानों को अपने गन्ने की बिक्री में कठिनाई का सामना करना पड़ा।


आंकड़े:

3 मार्च 2025 तक कुल 92 चीनी मिलें बंद हो चुकी थीं।



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निष्कर्ष (Conclusion):

महाराष्ट्र में 2024-25 गन्ना पेराई सत्र में कमी के पीछे कई गंभीर कारण हैं, जिनमें मौसम की प्रतिकूलता, इथेनॉल उत्पादन की ओर रुझान, चीनी रिकवरी दर में गिरावट और मिलों का समय से पहले बंद होना प्रमुख हैं। इन सभी कारकों ने राज्य के चीनी उद्योग पर गहरा प्रभाव डाला है।

सरकार को चाहिए कि वह इस स्थिति का गहन अध्ययन करे और उचित नीतियों का निर्माण करे, जिससे गन्ना उत्पादकों और चीनी मिलों दोनों को राहत मिल सके।


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