संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्यों से पंजाब की तर्ज पर केंद्र की कृषि विपणन नीति का विरोध करने का आह्वान किया
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने केंद्र सरकार की कृषि विपणन नीतियों के खिलाफ मुखर होते हुए देशभर के राज्यों से पंजाब की तर्ज पर किसानों के पक्ष में नीतियां अपनाने की अपील की है। SKM का आरोप है कि केंद्र सरकार की नीतियां कृषि बाजारों के निजीकरण को बढ़ावा देती हैं, जिससे छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों को नुकसान हो सकता है।
पंजाब मॉडल क्यों जरूरी?
पंजाब सरकार ने कृषि विपणन और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई अहम कदम उठाए हैं, जैसे:
1. MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को अनिवार्य रूप से लागू करना – केंद्र सरकार की उदासीनता के बावजूद पंजाब सरकार ने सुनिश्चित किया है कि किसानों को उनकी फसलों का MSP मिले।
2. APMC मंडियों को मजबूत करना – मंडी व्यवस्था को बरकरार रखते हुए निजी व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण रोकने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं।
3. कृषि कानूनों का विरोध जारी रखना – 2021 में वापस लिए गए कृषि कानूनों के बावजूद किसानों को डर है कि केंद्र सरकार अन्य नीतियों के जरिए निजीकरण को बढ़ावा दे सकती है। पंजाब सरकार इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास कर रही है।
4. किसानों को वित्तीय सहायता और ऋण माफी – राज्य सरकार ने किसानों को कर्ज माफी, सब्सिडी और अन्य आर्थिक सहायता देने के लिए योजनाएं चलाई हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें:
1. MSP की कानूनी गारंटी – केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी किसानों को उनकी उपज का उचित दाम मिले।
2. APMC मंडियों को बचाना – कृषि बाजारों का निजीकरण रोका जाए और पारंपरिक मंडी व्यवस्था को और मजबूत किया जाए।
3. ऋण माफी और वित्तीय सहायता – छोटे किसानों के बढ़ते कर्ज का समाधान किया जाए।
4. डीजल, खाद और बीज पर सब्सिडी – खेती की बढ़ती लागत को देखते हुए इनपुट सब्सिडी बढ़ाई जाए।
5. कृषि श्रमिकों और छोटे किसानों को सामाजिक सुरक्षा – पेंशन, बीमा और अन्य योजनाओं को लागू किया जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा की चेतावनी
SKM ने कहा है कि अगर राज्यों ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम नहीं उठाए, तो वे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए SKM ने सभी राज्य सरकारों से पंजाब की तरह किसान समर्थक नीतियां अपनाने की अपील की है।
अब देखना होगा कि अन्य राज्य इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और केंद्र सरकार किसानों की इन मांगों को लेकर क्या कदम उठाती है।
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