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सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक खेती: पर्यावरण अनुकूल खेती का भविष्य 🌱🚜

सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक खेती: पर्यावरण अनुकूल खेती का भविष्य 🌱🚜

आज के समय में जब रासायनिक खेती के कारण मिट्टी की उर्वरता घट रही है और पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है, ऐसे में सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक खेती की ओर रुख करना न सिर्फ जरूरी है बल्कि लाभकारी भी है।


ऑर्गेनिक खेती क्या है? 🥬

ऑर्गेनिक खेती यानी जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय प्राकृतिक तरीकों जैसे गोबर खाद, कम्पोस्ट, नीम की खली, और जैव कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इससे मिट्टी की सेहत, फसल की गुणवत्ता और पर्यावरण — तीनों सुरक्षित रहते हैं।

सस्टेनेबल खेती के नए तरीके ♻️

  • मल्चिंग तकनीक – मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए खेत पर पत्तियों या प्लास्टिक की परत बिछाना।
  • ड्रिप इरिगेशन – कम पानी में अधिक फसल, जल की बचत सुनिश्चित।
  • क्रॉप रोटेशन (फसल चक्र) – एक ही खेत में अलग-अलग फसलें उगाना ताकि मिट्टी को सभी पोषक तत्व मिलें।
  • वर्मी कम्पोस्टिंग – केंचुए के जरिए खाद तैयार करना जो मिट्टी को ज़्यादा उपजाऊ बनाता है।
  • एग्रो फॉरेस्ट्री – फसलों के साथ पेड़ लगाना, जिससे पर्यावरण भी संतुलित रहता है।

किसानों को होने वाले लाभ ✅

ऑर्गेनिक खेती से किसानों को कई फायदे होते हैं:

  • लागत में कमी और मुनाफा ज्यादा
  • मिट्टी की उर्वरता लम्बे समय तक बनी रहती है
  • बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग ज़्यादा है
  • पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों सुरक्षित

सरकारी सहायता और सब्सिडी 💰

सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है जैसे:

  • PKVY (परमपरा गत कृषि विकास योजना) और
  • MOVCDNER (पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक खेती मिशन) – इनके ज़रिए ट्रेनिंग, सर्टिफिकेशन और वित्तीय सहायता दी जाती है।

निष्कर्ष ✍️

सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक खेती सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि आज की जरूरत है। इससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ भविष्य भी मिलेगा।

तो आइए, आज ही कदम बढ़ाएं सस्टेनेबल खेती की ओर! 🌾

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