🍊 संत्रे में क्रैकिंग की समस्या: कारण, वैज्ञानिक विश्लेषण और समाधान
✍️ लेखक: Advance Farming Techniques 🌱🐛🐞
🔍 क्या है संत्रे में क्रैकिंग?
जब संत्रे के फल पकने से पहले या पकते समय फट जाते हैं, तो इसे क्रैकिंग या फल फटना कहा जाता है। यह उत्पादन और गुणवत्ता दोनों को प्रभावित करता है और किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
🌡️ संत्रा फटने के प्रमुख कारण
- अनियमित सिंचाई 💧: लंबे सूखे के बाद अचानक अधिक पानी देने से फल की त्वचा टूट जाती है।
- पोषक तत्वों की कमी 🧪: बोरॉन, कैल्शियम और पोटाश की कमी से कोशिका दीवार कमजोर हो जाती है।
- तेजी से विकास 🌱: अचानक अनुकूल परिस्थितियों में फल तेजी से बढ़ता है जिससे छिलका नहीं झेल पाता।
- जलवायु परिवर्तन 🌦️: तापमान और नमी के बदलाव से तनाव पैदा होता है।
- कीट और रोग 🐛🦠: जैसे फल मक्खी या रोग फलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
- किस्म विशेष की प्रवृत्ति 🍊: कुछ किस्में जैसे Coorg Mandarin ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
✅ संत्रा क्रैकिंग रोकने के उपाय
🧪 पोषण प्रबंधन:
- 0.5% कैल्शियम नाइट्रेट का फोलिएर स्प्रे फल बनने के बाद हर 20 दिन पर करें।
- 0.1% बोरिक एसिड का छिड़काव करें।
- पोटाश का छिड़काव करें (MOP या SOP)।
💧 सिंचाई प्रबंधन:
- ड्रिप सिंचाई अपनाएं और नियमित नमी बनाए रखें।
- बारिश के बाद जल निकासी की व्यवस्था रखें।
🌿 मल्चिंग:
- प्लास्टिक या गीली घास से मल्चिंग करें ताकि मिट्टी की नमी बनी रहे।
🌱 किस्म चयन:
- कम क्रैकिंग प्रवृत्ति वाली किस्में चुनें जैसे: Nagpur Mandarin, Phule Aruna आदि।
🌾 जैविक उपाय:
- जैविक ट्राइकोडर्मा, नीम तेल और कीट नियंत्रक एजेंट्स का उपयोग करें।
🔄 छंटाई और ट्रेंचिंग:
- पेड़ों की नियमित छंटाई करें ताकि फल धूप से बचे रहें।
- जड़ क्षेत्र में जल जमाव न हो इसके लिए ट्रेंचिंग करें।
📊 तकनीकी तालिका:
समस्या | समाधान |
---|---|
अनियमित सिंचाई | ड्रिप सिंचाई, मल्चिंग |
कैल्शियम की कमी | 0.5% CaNO₃ स्प्रे |
बोरॉन की कमी | 0.1% बोरिक एसिड स्प्रे |
तेज धूप और गर्मी | पेड़ की सफेदी (lime wash) करना |
कीट व रोग | जैविक कीटनाशक, ट्राइकोडर्मा |
📌 अतिरिक्त सुझाव:
- फल छांटाई करें ताकि पोषण का दबाव कम हो।
- फलों की समय पर कटाई करें।
- खेत का नियमित निरीक्षण करें।
- बोरॉन + SOP मानसून से पहले स्प्रे करें।
🌟 निष्कर्ष:
अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से सिंचाई, पोषण और किस्म का चयन करें, तो संत्रा क्रैकिंग की समस्या को पूरी तरह रोका जा सकता है। इससे न सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि बाजार में बेहतर कीमत भी मिलेगी।
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