✍️ लेखक: Advance Farming Techniques 🌱🐛🐞
🍏 क्या है 'काकू' फल?
काकू (Persimmon) एक जापानी मूल का फल है जिसे 'जापानी पर्सिमन' भी कहा जाता है। इसका स्वाद मीठा और गूदा मुलायम होता है। इसमें विटामिन A, C, फाइबरएंटीऑक्सिडेंटठंडी जलवायु और पहाड़ी इलाकों में उगाया जा सकता है।
📍 पिथौरागढ़ में कैसे हुई शुरुआत?
उत्तराखंड के मोस्टामानू गांव के किसान इकबाल बख्श ने सबसे पहले काकू की खेती शुरू की और उल्लेखनीय सफलता पाई। अब कृषि विभाग इस मॉडल को आगे बढ़ाकर 100 से अधिक किसानों तक पहुँचाने की योजना बना रहा है। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
💡 काकू की खेती के फायदे
- ✅ बाजार में उच्च मांग: होटल, मॉल और निर्यात में काकू की भारी डिमांड
- ✅ कम लागत में उत्पादन: देखभाल आसान और रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक
- ✅ ऑर्गेनिक खेती योग्य: रसायन-मुक्त खेती के लिए उपयुक्त
- ✅ उत्पादन क्षमता: एक पेड़ से सालाना 20-30 किलोग्राम फल
- ✅ लंबी शेल्फ लाइफ: फल जल्दी खराब नहीं होता
🌱 कैसे करें काकू की खेती?
- मिट्टी: दोमट या बलुई मिट्टी जिसमें पानी निकासी अच्छी हो
- जलवायु: 15°C से 25°C तापमान में अच्छी वृद्धि
- सिंचाई: 15 दिन में एक बार, खासकर गर्मी में
- खाद: गोबर खाद, नीमखली, और वर्मी कंपोस्ट उपयोग करें
- फसल अवधि: पेड़ लगाने के 3 साल बाद फल देना शुरू करता है
📈 मुनाफा और बाजार मूल्य
एक पेड़ से औसतन 800–1000 रुपए तक की आय संभव है। एक एकड़ में 100–120 पेड़ लगाए जा सकते हैं, जिससे किसान को सालाना ₹1 लाख से ₹1.5 लाख तक का लाभ मिल सकता है।
🏛️ सरकारी सहयोग और योजनाएं
उत्तराखंड सरकार बागवानी मिशन के तहत किसानों को प्रशिक्षण, पौधे, सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है। इच्छुक किसान स्थानीय कृषि विभाग से संपर्क कर योजना का लाभ उठा सकते हैं।
🔚 निष्कर्ष
'काकू की खेती' एक स्मार्ट, टिकाऊ और लाभदायक विकल्प बनकर उभरी है। यह न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर भी बनाएगी। अगर आप भी पहाड़ी किसान हैं तो आज ही एडवांस फार्मिंग की दिशा में पहला कदम उठाएं! 🚜🌄
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