🌿 दही और हल्दी का घोल: रोगों से फसल की सुरक्षा का देसी तरीका



जैविक खेती की ओर बढ़ता किसान – देसी कीटनाशक के साथ
खेती में बदलाव: महंगे रासायनिक कीटनाशकों का दौर अब खत्म हो रहा है। किसान अब प्राकृतिक विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं, जैसे दही और हल्दी का घोल – जो सस्ता, सुरक्षित और प्रभावी है।

🌾 यह लेख किसके लिए है?

  • किसान भाई जो जैविक खेती अपनाना चाहते हैं
  • बागवानी के शौकीन जो रसायन-मुक्त समाधान ढूंढ रहे हैं
  • जिन्हें मिट्टी की सेहत और पर्यावरण की चिंता है

🧪 दही-हल्दी स्प्रे क्या है?

यह एक घरेलू जैविक कीटनाशक है जो दही (प्रोबायोटिक) और हल्दी (एंटीसेप्टिक) के गुणों को मिलाकर तैयार किया जाता है। यह फसल पर छिड़कने से रोगजनक बैक्टीरिया और फफूंद को नियंत्रित करता है।

📋 तैयारी की विधि

  • 1 लीटर ताजा दही (गाढ़ा और बिना नमक)
  • 50 ग्राम हल्दी पाउडर (शुद्ध और बिना मिलावट)
  • 1 लीटर पानी
  • सभी सामग्री को अच्छी तरह मिलाएं और 12 घंटे तक ढककर रखें
  • छानकर स्प्रे बोतल में भरें

🚿 उपयोग का तरीका

  • प्रत्येक 7-10 दिन में एक बार फसल पर छिड़काव करें
  • सुबह या शाम के समय छिड़काव करें जब धूप तेज न हो
  • पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों तरफ स्प्रे करें

🌱 किन रोगों में लाभकारी?

  • पत्तियों का झुलसना (Leaf Blight)
  • फफूंद जनित रोग (Powdery Mildew, Rust)
  • जड़ सड़न (Root Rot)
  • कीटों से बचाव (Aphids, Whiteflies)

📈 व्यावहारिक उदाहरण

महाराष्ट्र के अमरावती जिले में कई किसानों ने टमाटर, मिर्च और भिंडी की फसल पर इसका सफल उपयोग किया है। रोगों में 60-70% तक कमी देखी गई और मिट्टी की गुणवत्ता भी बेहतर हुई।

🔚 निष्कर्ष

दही और हल्दी का घोल एक सशक्त देसी विकल्प है जो न केवल फसल को रोगों से बचाता है बल्कि मिट्टी की सेहत को भी सुधारता है। यह जैविक खेती की दिशा में एक मजबूत कदम है।

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