कृषि में मौसम का प्रभाव: कैसे करें तैयारी?
मौसम का कृषि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वर्षा, तापमान, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक घटनाएँ फसलों की उत्पादकता को प्रभावित कर सकती हैं। इसलिए किसानों को मौसम के बदलावों के प्रति सतर्क रहना और सही तैयारी करना आवश्यक है।
मौसम के प्रभाव और उससे बचाव
1. अनियमित वर्षा
अधिक बारिश से जलभराव और फसलों के गलने का खतरा बढ़ जाता है।
कम बारिश से सूखा पड़ सकता है, जिससे उत्पादन घट सकता है।
बचाव के उपाय:
✔ जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
✔ सूखे से बचाव के लिए ड्रिप इरिगेशन और वाटर हार्वेस्टिंग अपनाएँ।
2. तापमान में उतार-चढ़ाव
अत्यधिक गर्मी से फसलें झुलस सकती हैं।
ठंड और पाला (frost) से फसलों को नुकसान हो सकता है।
बचाव के उपाय:
✔ ग्रीष्मकाल में मल्चिंग करें और सिंचाई का सही समय निर्धारित करें।
✔ ठंड में फसलों को पाले से बचाने के लिए धुंआ तकनीक और छिड़काव अपनाएँ।
3. आंधी-तूफान और ओलावृष्टि
तेज़ हवाओं से फसलें गिर सकती हैं।
ओलावृष्टि से फसलें और फल-सब्ज़ियाँ नष्ट हो सकती हैं।
बचाव के उपाय:
✔ मजबूत पेड़-पौधों की बाड़ लगाएँ।
✔ फसलों को सुरक्षित रखने के लिए नेट या पॉलीहाउस तकनीक अपनाएँ।
मौसम की जानकारी कैसे प्राप्त करें?
✔ मौसम विभाग की भविष्यवाणी पर नज़र रखें।
✔ मोबाइल एप्स और सरकारी पोर्टल से मौसम की अपडेट लें।
✔ स्थानीय कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों से सलाह लें।
निष्कर्ष
कृषि में मौसम का प्रभाव बहुत बड़ा होता है, लेकिन सही रणनीति और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके किसान इससे बचाव कर सकते हैं। सतर्क रहकर और मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त करके बेहतर फसल उत्पादन संभव है।
"सही तैयारी, बेहतर फसल!"
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