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शेतकरी विरोधी कृषि नीतियों के खिलाफ काली गुढ़ी आंदोलन: किसानों की माँगें और सरकार की नीतियाँ 🌱🐞🐛

कृषि नीति: शेतकरी विरोधी नीतियों के विरोध में उठी काली गुढ़ी

भारत में कृषि नीतियों को लेकर किसानों का असंतोष लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में, किसानों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करने के लिए 'काली गुढ़ी' फहराई, जो सरकार की शेतकरी विरोधी नीतियों का विरोध दर्शाने का एक प्रतीक बन गया है।
क्यों उठी काली गुढ़ी?

• किसानों का कहना है कि सरकार की नीतियाँ उनके हित में नहीं हैं और वे धीरे-धीरे कृषि क्षेत्र को कमजोर कर रही हैं। कुछ प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:

• न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का अभाव: किसान चाहते हैं कि MSP को कानूनी दर्जा मिले, जिससे उन्हें उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।

• बढ़ती कृषि लागत: खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल की बढ़ती कीमतें किसानों पर आर्थिक दबाव डाल रही हैं।

• निजीकरण और ठेका खेती: बड़े कॉर्पोरेट्स के आने से छोटे किसानों को नुकसान हो सकता है, जिससे उनकी जीविका पर खतरा मंडरा रहा है।

• जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ: सरकार की ओर से किसानों को पर्याप्त राहत नहीं मिल रही है, जिससे उन्हें अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।


किसानों का आंदोलन और विरोध प्रदर्शन

• देशभर के किसानों ने विभिन्न माध्यमों से अपनी नाराजगी जाहिर की है। कुछ प्रमुख विरोध इस प्रकार हैं:

• कृषि बिलों के खिलाफ प्रदर्शन: पिछले कुछ वर्षों में किसान संगठनों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए।

• गुढ़ी पड़वा पर काली गुढ़ी फहराना: महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में किसानों ने परंपरागत गुढ़ी के स्थान पर काली गुढ़ी फहराकर सरकार के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया।

• सड़क जाम और धरने: कई स्थानों पर किसानों ने सड़कों पर धरने दिए और विरोध रैलियाँ निकालीं।


क्या चाहते हैं किसान?

किसानों की माँगें स्पष्ट हैं:

• न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी।

• कृषि लागत को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम।

• कॉर्पोरेट के हस्तक्षेप को सीमित करना और छोटे किसानों के हितों की रक्षा करना।

• प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को शीघ्र राहत मिलना।


सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने किसानों से बातचीत का आश्वासन दिया है, लेकिन ठोस कदम उठाने में देरी हो रही है। हालाँकि, कुछ योजनाओं और सब्सिडी के माध्यम से किसानों को राहत देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है।

निष्कर्ष

कृषि भारत की रीढ़ है, और किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज करना देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। काली गुढ़ी फहराना किसानों के असंतोष की एक महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति है। सरकार को चाहिए कि वह किसानों की समस्याओं को गंभीरता से ले और उनके हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।


आपका क्या विचार है? क्या सरकार को किसानों की माँगें तुरंत माननी चाहिए? कमेंट में अपनी राय दें!


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