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गर्मीयों में कपास की खेती के लिए खेत तैयार करने का सम्पूर्ण तरीका | Cotton Farming Preparation Guide 🌱🐛🐞

गर्मीयों में कपास के लिए खेत तैयार करना: सम्पूर्ण मार्गदर्शिका

कपास (Cotton) एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जिसे मुख्य रूप से कपड़े और तेल निर्माण में उपयोग किया जाता है। इसकी खेती भारत के विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है। सही समय पर खेत की तैयारी से उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार किया जा सकता है। इस लेख में, हम कपास की खेती के लिए खेत को गर्मीयों में कैसे तैयार करें, इसके सभी पहलुओं को विस्तार से जानेंगे।

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भूमि चयन एवं मिट्टी की जांच (Land Selection & Soil Testing)

भूमि का चयन:

कपास की खेती के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी, काली मिट्टी या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

मिट्टी में जल निकास का अच्छा प्रबंधन होना चाहिए।

कपास की खेती के लिए पीएच स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए।


मिट्टी की जांच:

बुवाई से पहले खेत की मिट्टी का परीक्षण अवश्य करें।

इससे मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है और आवश्यक उर्वरकों का सही मात्रा में उपयोग किया जा सकता है।

मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए जैविक और रासायनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग आवश्यक है।



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खेत की जुताई (Field Ploughing)

गहरी जुताई:

गर्मीयों में खेत की गहरी जुताई (20-25 सेमी) करना अत्यंत आवश्यक है।

हल या ट्रैक्टर की सहायता से 2-3 बार जुताई करें।

गहरी जुताई से मिट्टी के अंदर छुपे कीट, खरपतवार और रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

यह प्रक्रिया मिट्टी को भुरभुरा बनाती है जिससे पानी का अवशोषण बेहतर होता है।



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मिट्टी की तैयारी (Soil Preparation)

मिट्टी को भुरभुरा बनाना:

कल्टीवेटर या रोटावेटर का उपयोग करके मिट्टी को हल्का और भुरभुरा करें।

पाटा चलाकर मिट्टी को समतल बनाएं ताकि नमी बनाए रखने में मदद मिले।


खेत की लेवलिंग:

खेत को समतल बनाना बेहद जरूरी है, क्योंकि असमतल खेत में पानी रुकने की समस्या हो सकती है।

पानी का सही तरीके से निकास होना चाहिए।



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जल निकासी की व्यवस्था (Drainage System)

खेत में जलभराव न होने दें।

उचित जल निकासी की व्यवस्था करना अनिवार्य है।

यदि खेत में पानी रुकता है तो फसल की जड़ें सड़ सकती हैं।



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उर्वरक एवं जैविक खाद का प्रयोग (Fertilizers & Organic Manure)

उर्वरकों का प्रयोग:

10-15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें।

नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटाश (K) का संतुलित मिश्रण प्रयोग करें।

मिट्टी की जाँच रिपोर्ट के आधार पर उर्वरकों की मात्रा निर्धारित करें।


जैविक खाद का महत्व:

जैविक खाद न केवल मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है बल्कि मिट्टी के प्राकृतिक गुणों को भी संरक्षित करती है।

वर्मी कम्पोस्ट और हरी खाद भी उपयोगी हैं।



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बुवाई की तैयारी (Seedbed Preparation)

बीज चयन (Seed Selection):

उन्नत किस्मों के बीज का चयन करें जैसे कि Bt कपास या देशी कपास।

रोग और कीट प्रतिरोधक किस्मों का चयन करना बेहतर होता है।


बीज उपचार (Seed Treatment):

बीजों को 10-12 घंटे धूप में सुखाकर रखें।

फफूंदनाशक और कीटनाशक के घोल में बीजों को डुबोकर उपचारित करें।

बीजोपचार से रोगों से सुरक्षा मिलती है और अंकुरण दर में वृद्धि होती है।



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खेत में कतार बनाना और बुवाई (Row Making & Sowing)

कतारें बनाना:

खेत में 75 सेमी की दूरी पर कतारें बनाएं।

बीजों के बीच की दूरी 30-45 सेमी रखें।


बीज की गहराई:

बीज को 3-5 सेमी की गहराई पर बोएं।

इससे अंकुरण की दर में वृद्धि होती है।



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सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)

सिंचाई का समय:

बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।

फसल की आवश्यकता के अनुसार समय-समय पर सिंचाई करें।


सिंचाई के तरीके:

ड्रिप सिंचाई या स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करना सर्वोत्तम होता है।

इससे पानी की बचत होती है और पौधों को नमी लगातार मिलती रहती है।



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खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)

खरपतवार हटाना:

गर्मीयों में गहरी जुताई से ज्यादातर खरपतवार नष्ट हो जाते हैं।

यदि बुवाई के बाद खरपतवार उगें, तो निराई-गुड़ाई अवश्य करें।


रासायनिक नियंत्रण:

खरपतवार नाशकों का उपयोग भी किया जा सकता है।

लेकिन यह ध्यान रखें कि इसका प्रयोग फसल की प्रारंभिक अवस्था में ही करें।



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कीट एवं रोग प्रबंधन (Pest & Disease Management)

रोगों से बचाव:

कपास के पौधों में अक्सर चूर्णिल आसिता, लाल सूड़ी और जड़ सड़न जैसी समस्याएं होती हैं।

बीज उपचार से इन रोगों से बचाव किया जा सकता है।


कीट नियंत्रण:

जैविक कीटनाशकों का उपयोग बेहतर होता है।

नीम तेल का छिड़काव भी प्रभावी साबित होता है।



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निष्कर्ष (Conclusion):

गर्मीयों में कपास की खेती के लिए खेत की सही तैयारी करना अत्यंत आवश्यक है। खेत की गहरी जुताई, उर्वरकों का सही प्रयोग, जल निकासी की उचित व्यवस्था और बीजों का उपचार - ये सभी कदम सफल कपास उत्पादन की कुंजी हैं। इन सभी बातों का ध्यान रखते हुए आप कपास की अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं।



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