राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA): स्थायी कृषि की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल
परिचय:
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य जलवायु अनुकूल टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है। यह मिशन विशेष रूप से वर्षा आधारित (Rain-fed) क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए मृदा एवं जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने पर जोर देता है।
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NMSA के मुख्य उद्देश्य:
1. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना – तापमान वृद्धि, अनियमित वर्षा और सूखे की समस्या को कम करने के लिए जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों को अपनाना।
2. जल और मृदा संरक्षण – जल संचयन, सूक्ष्म सिंचाई और मृदा स्वास्थ्य सुधार तकनीकों का प्रयोग करके भूमि की उर्वरता बनाए रखना।
3. संसाधनों का कुशल प्रबंधन – उर्वरकों, कीटनाशकों और पानी का संतुलित उपयोग सुनिश्चित कर प्राकृतिक संसाधनों की बर्बादी रोकना।
4. कृषि विविधीकरण को बढ़ावा – मिश्रित खेती, कृषि वानिकी और जैविक खेती को अपनाकर किसानों की आय को स्थिर बनाना।
5. तकनीकी नवाचारों को बढ़ावा – सटीक खेती (Precision Farming), ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाना।
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NMSA के प्रमुख घटक:
1. मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (Soil Health Management - SHM)
मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड (Soil Health Card) योजना के माध्यम से उर्वरक संतुलन बनाए रखना।
जैविक उर्वरकों और हरित खाद (Green Manure) को बढ़ावा देना।
2. सूक्ष्म सिंचाई (Per Drop More Crop)
ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा देना ताकि कम पानी में अधिक फसल उत्पादन संभव हो सके।
जल स्रोतों का कुशल प्रबंधन और भूजल पुनर्भरण तकनीकों को अपनाना।
3. कृषि वानिकी (Agroforestry)
खेती के साथ-साथ वृक्षारोपण को बढ़ावा देना जिससे भूमि की उर्वरता बनी रहे और किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिले।
फसलों की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना।
4. जल और मृदा संरक्षण (Rainfed Area Development - RAD)
वर्षा आधारित कृषि क्षेत्रों में जल संरक्षण तकनीकों जैसे कि कंटूर बंडिंग, खेत तालाब और मल्चिंग को अपनाना।
सूखा प्रभावित क्षेत्रों में जल संचयन और सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को बढ़ावा देना।
5. जैविक और प्राकृतिक खेती (Organic & Natural Farming)
किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करना और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना।
जैविक उत्पादों के प्रमाणीकरण और बाजार उपलब्धता को सुनिश्चित करना।
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NMSA के अंतर्गत मिलने वाली सहायता
लघु एवं सीमांत किसानों को सब्सिडी – ड्रिप सिंचाई, जैविक खेती और जल संरक्षण संरचनाओं पर 50-75% तक की सब्सिडी।
तकनीकी सहायता – किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम, मृदा परीक्षण सेवाएं और आधुनिक कृषि तकनीकों की जानकारी।
वित्तीय सहायता – NMSA के अंतर्गत NABARD और अन्य संस्थानों के माध्यम से किसानों को सस्ते दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
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निष्कर्ष:
राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों से जोड़कर सतत कृषि प्रणाली को बढ़ावा देने में सहायक है। यदि किसान इस मिशन के तहत मिलने वाली योजनाओं और सुविधाओं का लाभ उठाते हैं, तो न केवल उनकी कृषि उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि वे पर्यावरण संतुलन को भी बनाए रख सकेंगे। यह मिशन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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